शिक्षामित्रों की तरह तदर्थ शिक्षकों को भी 11 महीने का मानदेय, समायोजन के संबंध में निर्देश जारी

 

शिक्षामित्रों की तरह तदर्थ शिक्षकों को भी 11 महीने का मानदेय, समायोजन के संबंध में निर्देश जारी

 

प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से बर्खास्त 2254 तदर्थ शिक्षकों को दोबारा शिक्षामित्रों की तरह 11 महीने के मानदेय पर रखा जाएगा। पिछले दिनों यूपी कैबिनेट में हुए फैसले के क्रम में विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता ने सोमवार को इन तदर्थ शिक्षकों के समायोजन के संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक को विस्तृत निर्देश भेजे हैं। नए सिरे से नियुक्त होने पर इनका नाम भी बदलकर मानदेय शिक्षक हो जाएगा। तदर्थ शिक्षकों को सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल तक नियुक्ति मिलेगी। 


मानदेय शिक्षकों के मानदेय का भुगतान प्रबंधक की ओर से समय-समय पर जारी निर्देशानुसार किया जाएगा। मानदेय शिक्षकों को एक सत्र (अधिकतम 11 महीने) में 12 दिन का आकस्मिक और 17 दिन का चिकित्सकीय अवकाश मिलेगा। इसके अलावा कोई अवकाश नहीं मिलेगा। निर्धारित अवकाश के अतिरिक्त अन्य अवधि में काम न करने पर मानदेय का भुगतान नहीं होगा।



औसत रिजल्ट 50 फीसदी से कम तो सेवा समाप्त

मानदेय शिक्षकों के पढ़ाए जाने वाले विषय का रिजल्ट यूपी बोर्ड के तीन साल के परीक्षाफल के औसत का 50 प्रतिशत से कम होने पर सेवा समाप्त की जा सकती है। इसके अलावा संतोषजनक अनुशासन न होने, आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने, कार्य करने की सहमति वापस लेने, दिशा-निर्देशों का पालन न करने, तथ्यगोपन, एक महीने तक लगातार अनुपस्थित होने पर सेवा समाप्त की जा सकेगी। राज्य सरकार चाहे तो मानदेय शिक्षक की व्यवस्था कभी भी समाप्त कर सकती है। 



मंडलीय स्तरीय समिति करेगी चयन

एडेड कॉलेजों में अध्यापन की न्यूनतम कार्यात्मक आवश्यकता एवं औचित्य को देखते हुए तदर्थ शिक्षकों के विद्यालय निर्धारण इत्यादि के परीक्षण करने के लिए मंडलीय स्तरीय समिति गठित होगी। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक समिति के अध्यक्ष होंगे जबकि संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव होंगे। मंडलीय उप शिक्षा निदेशक माध्यमिक व मंडलीय वित्त एवं लेखाधिकारी सदस्य होंगे। मंडल से बाहर स्कूल में रखने के लिए अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। इसमें संयुक्त शिक्षा निदेशक अर्थ एवं उप शिक्षा निदेशक माध्यमिक सदस्य होंगे।



आकस्मिक मृत्यु की दशा में मृतक आश्रित को कोई भी सेवा संबंधी लाभ देय नहीं होगा।

मानदेय भुगतान के आधार पर स्थायी नियुक्ति या विनियमितीकरण का दावा स्वीकार नहीं।