गुरुजी बने हर मर्ज की दवा … पढ़ाएं कब, 👉 बेसिक शिक्षा के अध्यापकों का अन्य कामों को करने में ही बीत रहा है पूरा दिन
लखनऊ:- प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे बच्चों को पढ़ाए कब उनके पास चुनाव 1 कराने से लेकर स्कूल चलो अभियान, संचारी रोग नियंत्रण अभियान, खाद्यान्न वितरण ड्यूटी, बच्चों के फोटो व प्रोफाइल अपडेट करने, स्कूल के बाद हाउसहोल्ड सर्वे आदि के काम भी हैं। ऐसे में गुरुजी इन कामों में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें पढ़ाने का वक्त ही नहीं मिल रहा है।
प्रदेश में तमाम ऐसे विद्यालय हैं, जहां शिक्षकों की कमी है तो कई में छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं है। कुछ जगहों पर शिक्षामित्र हो तैनात हैं। ऐसे में जब उनकी ड्यूटी चुनाव मैं बीएलओ, बीएलओ सुपरवाइजर, मतगणना या अन्य काम में लगती है तो विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था ठप हो जाती है। शिक्षकों से स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत आउट ऑफ स्कूल बच्चों के चिह्नीकरण, पंजीकरण व नामांकन के लिए परिवार सर्वेक्षण भी कराया जा रहा है।
यह परिवार सर्वेक्षण सिर्फ आउट ऑफ स्कूल बच्चों व उनके माता-पिता के बारे में जानकारी जुटाने तक सीमित नहीं है। इसमें परिवार में जन्म लेने वाले से 14 वर्ष तक के बच्चों व 14 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक सदस्य के नाम, आयु, लिंग, मोबाइल नंबर समेत अन्य जानकारी जुटाई जा रही है।
यदि बच्चा किसी विद्यालय में नामांकित है तो कक्षा, विद्यालय के यूडायस कोड, आंगनबाड़ी केंद्र का कोड, विद्यालय/ आंगनबाड़ी केंद्र का नाम और अगर स्कूल में नहीं पढ़ रहा है तो सात से 14 वर्ष की आयु के आउट ऑफ स्कूल बच्चों के लिए 23 कॉलम का अलग प्रोफार्मा भरेंगे।
कई बार शिक्षकों की ड्यूटी बच्चों को अल्बेंडाजोल (पेट के कीड़े मारने की दवा) की गोली खिलाने और दवा खाने से छूटे बच्चों का डाटा रजिस्टर तैयार करने में भी लगा दो जाती है। इसके अलावा भी कई अन्य कामों में ड्यूटी लगा दी जाती है।