कैशलेस चिकित्सा योजना को शिक्षकों ने नकारा, 10 लाख तक इलाज के लिए 76 हजार प्रीमियम

कैशलेस चिकित्सा योजना को शिक्षकों ने नकारा

10 लाख तक इलाज के लिए 76 हजार प्रीमियम

इस योजना के तहत तीन, पांच, सात और दस लाख तक कैशलेस चिकित्सा का लाभ पति-पत्नी, दो बच्चे और आश्रित माता-पिता को मिलना है। अलग-अलग राशि के लिए लाभार्थियों की संख्या के अनुसार प्रीमियम है। तीन लाख तक की सुविधा के लिए पति-पत्नी को सालाना 18500, पति-पत्नी और दो बच्चों के लिए 21000, जबकि पति-पत्नी, दो बच्चे और आश्रित माता-पिता के लिए 45000 प्रीमियम देना होगा। दस लाख की कैशलेस चिकित्सा के लिए क्रमश 34000, 39200 और 76000 प्रीमियम रखा गया है। शिक्षामित्रों और अनुदेशकों जिन्हें क्रमश दस व नौ हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है, उनके लिए तो योजना में पंजीकरण लगभग असंभव है।

प्रयागराज, जिले के 2852 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 15 हजार से अधिक शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अंशकालिक अनुदेशकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने पहली बार शुरू की गई कैशलेस सामूहिक स्वास्थ्य बीमा योजना को नकार दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने नौ दिसंबर को इस योजना की घोषणा करते हुए 28 अप्रैल तक चार बार आवेदन का मौका दिया था। लेकिन प्रीमियम की राशि दूसरी कंपनी की पॉलिसी से अधिक होने के कारण प्रयागराज के 23 ब्लॉकों व नगर क्षेत्र में इक्का-दुक्का शिक्षकों ने ही इस योजना के लिए आवेदन किया है। यह स्थिति तब है जबकि बगैर किसी चिकित्सकीय जांच के योजना का लाभ दिया जा रहा है।

यही नहीं सेवारत कर्मचारी को अधिकतम 62 वर्ष और आश्रित माता-पिता को अधिकतम 85 वर्ष तक योजना से आच्छादित किया गया है। इसके लिए न्यू इंडिया, युनाइटेड इंडिया और द ओरियेन्टल इंश्योरेंस कंपनियों को अधिकृत किया गया है। सोरांव व हंडिया ब्लॉक से एक-एक, जबकि फूलपुर समेत कई ब्लॉकों से एक भी आवेदन नहीं मिले हैं। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि कैशलेस चिकित्सा योजना के लिए उम्मीद से कम आवेदन मिले हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि कैशलेस चिकित्सा योजना के नाम पर शिक्षकों को धोखा दिया गया है।