पति निर्दोष साबित, सीमा बनीं शिक्षिका:- एक साल से विवि और बीएसए (BSA) कार्यालय के काट रही थीं चक्कर

पति निर्दोष साबित, सीमा बनीं शिक्षिका:- एक साल से विवि और बीएसए (BSA) कार्यालय के काट रही थीं

आगरा:- अंतत: सीमा कुमारी अपने पति को निदरेष साबित करने में सफल हो गईं। मृतक आश्रित के रूप में उन्हें पति के स्थान पर नौकरी भी मिल गई। उनकी इस सफलता में हमकदम बना दैनिक जागरण। अब उनका परिवार सुकून से जीवन बिता सकेगा। बच्चों की पढ़ाई की चिंता भी दूर हो गई। पटरी पर जिंदगी लौटी तो सीमा ने कहा, धन्यवाद जागरण।

एत्मादपुर के नगला केसरी निवासी सीमा कुमारी के पति विमल किशोर ने सत्र 2004-05 में डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से बीएड किया था। वर्ष 2016 में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय, रुधऊ में शिक्षक की नौकरी शुरू कर दी। विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री की जांच करने के दौरान विशेष जांच दल (एसआइटी) की सूची में उनका रोल नंबर टैंपर्ड में आ गया। बीएसए ने उन्हें वर्ष 2019 में नोटिस दिया, वर्ष 2020 में तनख्वाह रोक दी गई। तनाव में आकर वह बीमार हो गए और पिछले साल मार्च में उनकी मृत्यु हो गई। सीमा ने अपने पति के स्थान पर नौकरी के लिए प्रत्यावेदन दिया, जिसे नकार दिया गया। उन्होंने लोक अदालत में मुकदमा किया। राज्यपाल को पार्टी बनाया, जिस पर विश्वविद्यालय से जवाब दिया गया कि विमल किशोर का रोल नंबर न तो फेक सूची में है और न ही टैंपर्ड सूची में। सीमा कुमारी पिछले एक साल से अपने पति की डिग्रियों और अंकतालिकाओं को सत्यापित कराने के लिए विश्वविद्यालय और नौकरी पाने को बीएसए कार्यालय के चक्कर काट रही थीं। जानकारी होने पर दैनिक जागरण उनकी इस जंग मे कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो गया। अगस्त माह में खबर प्रकाशित कर सीमा के दर्द को उजागर किया गया। खबर में बताया गया कि किस तरह विवि से सत्यापित पत्र प्राप्त करने के लिए उससे रुपये मांगे गए। संवाददाता ने अपने प्रयास से कुलपति से मुलाकात कराई। सत्यापित पत्र सहायक कुलसचिव कार्यालय से बीएसए कार्यालय तक पहुंचाया गया।

सीमा कुमारी’स्वयं

’ जीती जंग, हमकदम बनने पर बोलीं-धन्यवाद जागरण

’ एक साल से विवि और बीएसए कार्यालय के काट रही थीं चक्कर