अफसरों को गुमराह कर मुख्यालय पर डटे शिक्षक, पढ़ाई चौपट:- सेटिग-गेटिग के चलते अफसर भी इनकी करतूत से अनभिज्ञ

अफसरों को गुमराह कर मुख्यालय पर डटे शिक्षक, पढ़ाई चौपट:- सेटिग-गेटिग के चलते अफसर भी इनकी करतूत से अनभिज्ञ

रायबरेली:- जिम्मेदारी नौनिहालों के भविष्य संवारने की है। उन्हें शिक्षित कर आगे बढ़ाने की है। मुख्य कार्य से दूर कंप्यूटर आपरेटर तो कोई कालिग सेंटर पर तैनात है। विद्यालय से हटे छह महीने तो किसी को एक साल हो चुका है। इसका असर नौनिहालों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। सेटिग-गेटिग के चलते अफसर भी इनकी करतूत से अनभिज्ञ हैं।
कोविड कालिग सेंटर और पंचायत चुनाव में संबद्धता के कारण एआरपी सतांव आशुतोष तिवारी, कंपोजिट विद्यालय सरेनी के सहायक अध्यापक विजय सिंह, अमावां क्षेत्र के परिगवां की नेहा वर्मा, राही के बेलाखारा की शैफाली अवस्थी, डीह के प्राथमिक विद्यालय वीरगंज के सूरज सिंह और बहुतई के मानस अवस्थी मूल कार्य से दूर रहे। आरोप से बचने के लिए कुछ दिन विद्यालय जाकर लौट आए। इनको एक बार फिर विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2021-22 में स्वीप की गतिविधियों में लगा दिया गया है। इसमें आइटी के माध्यम से इंटरनेट साइट पर दैनिक गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह कार्य कंप्यूटर अनुदेशक भी कर सकते हैं। इस बाबत एडीएम प्रशासन अमित कुमार से पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि विभाग से ही पत्र आया होगा। यह बात दीगर है कि एडीएम के हस्ताक्षर युक्त पत्र ही बीएसए कार्यालय उक्त शिक्षकों के कार्यमुक्त करने के लिए भेजा गया। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने एडीएम के आदेश का हवाला दिया। दो मुख्यालय संबद्ध तो एक मातृत्व अवकाश पर कंपोजिट विद्यालय बेलाखारा में 446 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इसमें शिप्रा मिश्रा और शैफाली अवस्थी मुख्यालय पर पंचायत चुनाव के पहले से संबद्ध हैं। वहीं, एक शिक्षिका मातृत्व अवकाश पर हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक मनोज कुमार का कहना है कि दिक्कत आ रही है, लेकिन शिक्षण कार्य को प्रभावित नहीं होने दिया जा रहा है। साहब का आदेश है, हम क्या करें

साहब का आदेश है। इसमें हम क्या करें। बहुतई प्रधानाध्यापक नलनेश कहते हैं कि मानस अवस्थी 28 जनवरी 2021 को यहां आए। 22 फरवरी को निर्वाचन कार्य में संबंद्ध हो गए। 22 सितंबर को वापस विद्यालय आए। 22 अक्टूबर को निर्वाचन कार्य से संबद्ध कर दिए गए। इसी तरह सूरज सिंह बमुश्किल दो महीने ही पढ़ा सके। अमावां की शिक्षिका नेहा वर्मा का तो काफी समय से अता-पता नहीं है। हां, संबद्धता का पत्र जरूर विद्यालय आता है।