उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए छिड़ेगा अभियान, क्लिक कर देखें

उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए छिड़ेगा अभियान

प्रमुखों के खाली पदों की भरने की कवायद के साथ शिक्षकों के खाली पदों को भरने की बड़े स्तर पर तैयारी है, मौजूदा समय में अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही शिक्षकों के 6000 से ज्यादा पद खाली हैं। 

नई दिल्ली:- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षण संस्थानों को भले ही ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में नालंदा और तक्षशिला जैसी ऊंचाई पर ले जाने का सपना बुना गया है, लेकिन बिना गुरु के यह संभव नहीं है, यही वजह है कि सरकार ने इस दिशा में अहम कदम उठाया है, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को तेजी से भरने की पहल की गई है, यह कदम इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि मौजूदा समय में अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही शिक्षकों के 6000 से ज्यादा पद खाली हैं। इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (प्रयागराज) विश्वविद्यालय सहित कई ऐसे विश्वविद्यालय भी हैं, जहां शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद खाली हैं।
अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6000 से ज्यादा पद हैं खाली:- 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में पूरी शिद्दत से जुटे शिक्षा मंत्रालय ने इससे पहले उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के खाली पदों को भरने की देशव्यापी मुहिम चला रखी है, इसमें अब तक दर्जन भर से ज्यादा विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति की गई है, साथ ही कुलपति और निदेशकों के बाकी खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, वैसे तो उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पदों का खाली होना और भरना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन कुछ अड़चनों के चलते ये पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिन्हें भरने के लिए मंत्रालय ने पहल की है। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों के खाली पड़े पदों को जल्द चिह्नित कर उन्हें भरने के लिए कहा गया है, साथ ही इसे लेकर उठाए गए कदमों से शिक्षा मंत्रालय को भी अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं।

आई०आई०टी० (IIT) व आई०आई०एम० (IIM) में भी शिक्षकों के करीब 34% पद रिक्त हैं:-

मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के करीब 34% पद खाली हैं, इनमें अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के करीब 6300 पद खाली हैं, जबकि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की कुल संख्या करीब 19 हजार है, इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (प्रयागराज) विश्वविद्यालय, हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर (मध्य प्रदेश), केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा आदि की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय है। यहां स्वीकृत पदों के मुकाबले शिक्षकों के करीब आधे पद खाली हैं। वैसे भी देश में कुल 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और सभी में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसी ही स्थिति कमोबेश आई०आई०एम० (IIM), आई०आई०टी० (IIT) और एन०आई०टी० (NIT) की भी है, जहां औसतन 34% पद खाली हैं।

इसलिए भी अहम है यह पहल:- 

 केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों के खाली पदों को भरने की यह पहल उस समय तेज की गई है, जब सरकार की कोशिश उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों को देश में ही वैसी शिक्षा देने की है। इस दिशा में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए संयुक्त डिग्री कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। हालांकि इस मुहिम को मजबूती देने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय संस्थानों के लिए तय मापदंडों पर खरा भी उतरना होगा। इसमें शिक्षकों की उपलब्धता भी एक बड़ा आधार है।

कुछ प्रमुख विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के स्वीकृत और खाली पद:- 

 ● दिल्ली विश्वविद्यालय:- 1,706---846 
 ● इलाहाबाद विश्वविद्यालय:- 863---598 
 ● डॉ० हरी सिंह गौर वि०वि० सागर:- 413---227 
 ● जे०एन०यू०:- 926---308 
 ● हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल वि०वि०:- 478---211 
 ● सेंट्रल यूनिवर्सिटी ओडिशा:- 157---137 
 ● सेंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा:- 266---125 
 ● सेंट्रल यूनिवर्सिटी कश्मीर:- 195---114