प्रधानाध्यापिका की बर्खास्तगी के मामले में दो सदस्यीय जांच टीम गठित
कथित प्रधानाध्यापिका ने जब इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाया, तो कोर्ट ने उनका पक्ष सुनने का आदेश दिया। इसके बाद, बीएसए ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी। विवेचक ने लेखा कार्यालय से भी जरूरी दस्तावेज मांगे हैं। तहरीर में चयन प्रक्रिया को गलत बताया गया था, जिसके आधार पर मामले में कार्रवाई आगे बढ़ी। इस मामले में सभी जरूरी बिंदुओं पर जांच जारी है। सिद्धार्थ पूर्व माध्यमिक विद्यालय पिपरा रसूलपुर, विकास क्षेत्र-सदर में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत निधि सिंह की नियुक्ति को लेकर शिकायत मिली थी। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई की गई। सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में बीएसए कार्यालय के एक कर्मी की भूमिका संदिग्ध है, और कानूनी पेंच फंसाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए गए हैं।
अगर यह मामला सामने नहीं आता, तो एक और नियुक्ति हो जाती। सूत्रों का कहना है कि एडेड स्कूलों में तैनाती के दौरान बहुत अनियमितताएं हुई हैं। इसमें पैसे और सत्ता का खेल खेला गया है, और जिसकी व्यवस्था थी, उसने अपने हिसाब से काम करवाया है। सिद्धार्थ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नियुक्ति की गड़बड़ी का मामला खुलने पर यह कानूनी दाव-पेंच में उलझ गया है। जांच के बाद भी, नियमों और कानूनों के पेचीदगियों के चलते मामले को और उलझाने की कोशिश की जा रही है। इस प्रकरण को लेकर कुछ लोगों में बेचैनी बढ़ी है, और उन्हें डर है कि अगर सभी दस्तावेज खुल गए तो गलत कार्यों का पर्दाफाश हो जाएगा। ऐसे मामले अन्य एडेड स्कूलों में भी हो सकते हैं।
उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन हो रहा है। जांच हेतु एक दो सदस्यीय समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर, न्यायालय के निर्देशानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
-श्रवण कुमार गुप्ता, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी