फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षक पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार
सुल्तानपुर, अपने कारनामों की वजह से दो बार निलंबित हो चुका शिक्षक एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला ज्यादा गंभीर है। शिक्षक ने जिस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित के प्रमाणपत्र पर नौकरी हासिल की थी, वह वर्ष 2011 में ही निरस्त किया जा चुका है। ऐसे में शिक्षक पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।
दुबेपुर विकास क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मोहद्दीपुर में सहायक अध्यापक के पद पर इंद्र बहादुर यादव ने वर्ष 2015 में नौकरी पाई थी। उनकी पत्नी प्राथमिक विद्यालय बिसानी में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत है।
सहायक अध्यापक इंद्र बहादुर अपने कारनामों की वजह से अक्सर चर्चा में बना रहता है। एक बार सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी और दूसरी बार अपनी पत्नी की विद्यालय में बवाल करने के मामले में निलंबित हो चुका है।
ताजा प्रकरण शिक्षक की नौकरी से जुड़ा हुआ है। प्राथमिक विद्यालय विद्यालय बिसानी में कार्यरत शिक्षामित्र वत्सल प्रसाद मिश्र ने इंद्र बहादुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का प्रमाणपत्र फर्जी होने का मामला उठाया था। इस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रतापगढ़ के डीएम से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।
पत्र पर प्रतापगढ़ के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने 29 मई को बीएसए को भेजे पत्र में इंद्र बहादुर यादव का प्रमाणपत्र नियुक्ति के पहले ही निरस्त किया जाना दर्शा दिया है। पत्र में लिखा है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित का प्रमाणपत्र उनका वर्ष 2011 में ही निरस्त किया जा चुका है।
दरअसल इंद्र बहादुर यादव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जग्गू का प्रपौत्र है। नियमों के मुताबिक पुत्र-पुत्री और पौत्र-पौत्री तक ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का आरक्षण प्राप्त करने का नियम है। चूंकि इंद्र बहादुर यादव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का प्रपौत्र है, इस वजह से उसे इसका लाभ नहीं मिल सकता है। इंद्र बहादुर की नियुक्ति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे में हुई थी। प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने से अब उस पर बर्खास्तगी की तलवार लटकने लगी है।
प्रभारी बीएसए रामतीर्थ वर्मा ने बताया कि प्रमाणपत्र के संबंध में प्रतापगढ़ प्रशासन को कई बार पत्र लिखा जा चुका था। छुट्टी से आने के बाद ही बीएसए इस पर निर्णय लेंगे।