सरकारी नौकरी में दिन प्रति दिन चुनौतियाँ बढ़ती जा रही: ✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय

आप सभी गुरूजनों को सादर प्रणाम 👏 व जय सियाराम 💐💐

✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय

दिन प्रति दिन चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं, अभी राजस्थान का एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक हो गई है,या 15 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हैं,यदि उनकी कार्य क्षमता में कमी आई है तो, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाये।

पत्र की वैधानिकता पर मै कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूँ, मेरा बस यही सोचना है कि कर्मठता की जाँच का मानक क्या होगा?

यह भी सम्भव है कि किसी कर्मठ व्यक्ति को अकर्मण्य न घोषित कर दिया जाये।

कर्मचारियों पर आ रहीं इन प्रतिकूल परिस्थितियों से सबका चिंतित होना लाज़मी है।

अब उत्तर प्रदेश को ही देखिए,पिछले सात वर्ष से पदोन्नति नहीं हो रहीं थी,सरकार ने पदोन्नति का निर्णय भी लिया तो कुछ लोग वहाँ भी नकारात्मकता का अवसर तलाशने लगे, आखिर पदोन्नति पर रोक लगवा कर क्या हासिल हो गया।

लोग अपने दुःख से अधिक दूसरों के सुख से परेशान हैं।

इन्हीं सब परिस्थितियों का लाभ नियोक्ता भी लेते हैं।

उन्हें पता है कर्मचारी आपस में ही संगठित नहीं हैं, जिसका उनके द्वारा भरपूर लाभ लिया जाता है,कभी एक दौर था कि हर विद्यालय मे एक प्रधानाध्यापक हुआ करते थे, अचानक यह फरमान हुआ कि अब 150 बच्चों पर प्राथमिक में और 100 बच्चों पर उच्च प्राथमिक में प्रधानाध्यापक होंगे, जिसका परिणाम रहा कि पदोन्नति के लिए रिक्तियां कम हो गईं, प्रभारी प्रधानाध्यापको के भरोसे विद्यालय चलने लगे।

जस्टिस पीयूष अग्रवाल जी ने प्रभारी प्रधानाध्यापक को तदर्थ प्रधानाध्यापक का वेतन देने का आदेश कर दिया, जिससे समस्त विद्यालयों मे कार्यरत प्रभारी प्रधानाध्यापक तदर्थप्रधानाध्यापक हो गए।

यहाँ पर भी इनका विरोध आपस में ही लोगों द्वारा किया जाएगा।

जबकि सबको एकजुट हो कर उक्त आदेश के पक्ष में कार्य करना चाहिए।

मैंने तो निर्णय लिया है कि जहां स्थाई प्रधानाध्यापक नहीं मौजूद हैं वहाँ पर कार्यरत प्रभारी प्रधानाध्यापक को तदर्थ प्रधानाध्यापक के पक्ष में आदेश करवाऊंगा।

जिससे छात्र संख्या की बाध्यता की अड़चनें अपने आप दूर हो जाएं,

उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक पर पदोन्नति के मामले में आई अड़चनों को भी जनवरी 2024 से ही दूर कराने का प्रयास कर रहा हूँ।

*समायोजन के मामले में विभाग ने बार कनिष्ठ शिक्षकों को समायोजित करने का प्रयास किया,परन्तु उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा समायोजन पर दोनों बार रोक लगा दी गई।

सरकार यदि तदर्थ प्रधानाध्यापक के आदेश को निरस्त नहीं करा पाएगी तो वरिष्ठ शिक्षकों को जिनका चयन वेतनमान लग चुका है उन्हें प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक पद पर समायोजित करने का प्रयास करेगी,एवं जिनका प्रोन्नति वेतनमान लग चुका है उन्हें उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर समायोजित करने का प्रयास करेगी

जिससे कि तदर्थ प्रधानाध्यापक का वेतन न देना पड़े

जबकि मेरा मानना है कि इस परिस्थिति में भी जब उनका कैडर सहायक अध्यापक का है तो भले ही उनका चयन वेतनमान एवं प्रोन्नति वेतनमान लगा हो, मगर अभी उनकी पदोन्नति की जाय तो उनका एक इंक्रीमेंट बढ़ जाएगा,इसलिए उनसे भी प्रभारी प्रधानाध्यापक का कार्य लेने के लिए तदर्थ प्रधानाध्यापक के रूप में एक इंक्रीमेंट बढ़ाना होगा*

इस तरह से विभाग उनकी पदोन्नति के लिए विवश होगा

समायोजन के मामले में वरिष्ठ एवं कनिष्ठ शिक्षकों को आपस में टकराव नहीं करना चाहिए, हम सबको अपने हित की रक्षा के लिए एकजुट होकर कार्य करना होगा।

पदोन्नति के मामले मे मैने एकल पीठ से आदेश करवाया, डिवीजन बेंच मे भी पैरवी कर रहा हूँ, सुप्रीम कोर्ट में भी हमारी उपस्थिति है।

गर्मी की छुट्टी में प्रभारी प्रधानाध्यापको को जोड़कर उनके लिए तदर्थ रूप से प्रधानाध्यापक का वेतन एवं बकाया भुगतान दिलवाने की तैयारी करूँगा, जिससे कि गर्मी की छुट्टी के बाद उनके लिए आदेश करवाया जा सके,एवं उक्त आदेश की डिवीजन बेंच व सुप्रीम कोर्ट में रक्षा की जा सके।

समायोजन के मामले में भी जो वरिष्ठ गुरूजनों के हित मे होगा, किसी को क्षति नहीं पहुचेंगी, उन्हीं के पक्ष मे पैरवी करने का प्रयास करूँगा।

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आपका अनुज
राघवेन्द्र पाण्डेय