पांच साल से आधार बन रहा, नौ लाख बच्चे वंचित: डीबीटी के जरिए खाते में 1200 रुपये मिलने में होगी दिक्कत

पांच साल से आधार बन रहा, नौ लाख बच्चे वंचित: डीबीटी के जरिए खाते में 1200 रुपये मिलने में होगी दिक्कत

प्रदेश के 133035 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों में पंजीकृत 12677039 छात्र-छात्राओं में से 901106 बच्चों का आधार नंबर उपलब्ध नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से भले ही पांच साल से बच्चों के आधार बनाने का काम हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चों का आधार नहीं बन सका है। इसके चलते बच्चों को यूनिफार्म, बैग, जूते-मोजे और स्टेशनरी वगैरह के लिए हर साल मिलने वाली 1200 रुपये की सहायता राशि खाते में ट्रांसफर होने में देरी होगी।

यह राशि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों के अभिभावकों के खाते में सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए भेजी जाती है। लेकिन पहले उन्हीं बच्चों के अभिभावकों को यह राशि मिलती है जिनका आधार नंबर उपलब्ध होता है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने 27 मई की रिपोर्ट भेजते हुए सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आधार वेरीफिकेशन जल्द से जल्द पूरा कराएं, ताकि बच्चों को समय से सहायता राशि उपलब्ध कराई जा सके।

प्रयागराज में 16938 बच्चों का नहीं है आधार नंबर

लखीमपुर खीरी में सर्वाधिक 44477 छात्र-छात्राओं के पास आधार नहीं है। बहराइच में 35081, आजमगढ़ 34573, हरदोई 28130, जौनपुर 27161 और बदायूं में 25297 बच्चे ऐसे हैं जिनका आधार नहीं बना है। प्रदेश के 75 जिलों में सबसे अच्छी स्थिति हापुड़ की है जहां मात्र 1159 बच्चे आधारविहीन हैं। नोएडा या गौतमबुद्धनगर में 2029, पीलीभीत 2374, महोबा 2808 और शामली में 3071 बच्चों का आधार नहीं है। प्रयागराज में 16938, प्रतापगढ़ 10198, कौशाम्बी में 7746 बच्चों का आधार नहीं है।