पदोन्नति में टीईटी और हिमांशु राणा की याचिका ✍️

पदोन्नति में टीईटी और हिमांशु राणा की याचिका ✍️

हिमांशु राणा ने अपनी याचिका में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 की धारा 18 जो कि पदोन्नति को लेकर है उसमें पदोन्नति में टीईटी को शामिल करने की मांग की है। हिमांशु राणा की मांग है कि नियमावली में पदोन्नति में टीईटी सम्मिलित किया जाए तब पदोन्नति की जाए।

माननीय न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में
क्रम संख्या 4 में लिखा है कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है एवम नोटिस जारी हुआ है।

क्रम संख्या 5 में तीन सप्ताह अंदर प्रतिवादियों से जवाब मांगा गया है। जिसका प्रत्युत्तर उसके बाद दो सप्ताह के अंदर देने को कहा है। जबकि अभी तक कोई भी जवाब प्रतिवादियों ने नहीं दिया है।

क्रम संख्या 6 में काउंटर रिजॉइंडर आने के बाद रजिस्ट्री को मुकदमे को सूचीबद्ध करने को कहा गया है, अर्थात तब सुनवाई प्रारंभ हो सके।

क्रम संख्या 7 में स्पष्ट है कि काउंटर रिजाउंडर जमा होने तक प्रतिवादी एनसीटीई के दिनांक 11/08/2023 के पत्र के आलोक में ही रूल 18 के तरह पदोन्नति की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेंगे। परंतु इलाहाबाद में एकल पीठ में शिव कुमार केस में 23/08/2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से राहत मिलने पर प्रतिवादी हिमांशु राणा के दो न्यायमूर्तियों के अंतरिम निर्णय के बाध्यकारी न होने के कारण पदोन्नति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाएगी। 

प्रतिवादी अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे। जब तक सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु केस पर अंतिम फैसला नहीं देगी तब तक हिमांशु राणा का केस डिसाइड नहीं होगा। हिमांशु राणा को इंतजार था कि कोई उनके अंतरिम फैसले को चुनौती दे देगा तो वह सर्वोच्च न्यायालय पहुंच जायेंगे। मगर मैने ऐसा किया नहीं और इलाहाबाद में एकल पीठ में आदेश करा लिया।

हिमांशु राणा यदि अपील करेंगे तो कोर्ट में हमारी टीम राघवेन्द्र बताएगी कि इनकी रिट लखनऊ में विचाराधीन है।

स्कोर करने और चर्चा में बने रहने के लिए हिमांशु राणा ने प्रेजेंटेशन लेटर वायरल करके चर्चा बटोरने का प्रयास किया है। जिसका कोई मतलब नहीं है।

प्रभात कुमार