आयोग के अध्यक्ष-कर्मचारी बने बंधक: उठाए सवाल, साक्ष्य है तो परीक्षा रद्द करने में देरी क्यों

आयोग के अध्यक्ष-कर्मचारी बने बंधक: उठाए सवाल, साक्ष्य है तो परीक्षा रद्द करने में देरी क्यों

 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक का विवाद दिनोंदिन तूल पकड़ता जा रहा है। पिछले कई दिनों से परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन शुक्रवार को और तीव्र हो गया। सुबह साढ़े दस बजे के करीब हजारों छात्र आयोग दफ्तर के सामने जुटे और रात तक प्रदर्शन, नारेबाजी चलती रही।

आक्रोशित युवाओं ने आयोग के सभी गेट बंद कराकर अध्यक्ष संजय श्रीनेत्र समेत आयोग के सदस्यों तथा सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को बंधक बनने पर मजबूर कर दिया। छात्र परीक्षा निरस्त करने और पुनर्परीक्षा कराने की मांग पर अड़े हैं। 

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंक गांधी ने एक्स पर ट्वीट कर प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन को समर्थन दिया है। माहौल को देखते हुए आयोग पर भारी संख्या में पुलिस और आरएफ के जवान तैनात रहे। देर रात डीएम,सीपी आयोग पहुंचे।

आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक का आरोप लगाते हुए प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन कई दिनों से जारी है। शुक्रवार को देर रात आयोग के गेट के सामने अध्यक्ष संजय श्रीनेत्र से मिलने के लिए डटे रहे। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि आयोग को ईमेल पर साक्ष्य भेजे जा रहे हैं। 

कई प्रतियोगियों ने शपथपत्र के साथ ईमेल किया है। प्रतियोगी छात्र शपथपत्र के साथ साक्ष्य की हार्डकॉपी देने को भी तैयार हैं। जांच के लिए आयोग के पास सभी संसाधन भी उपलब्ध हैं तो आयोग परीक्षा निरस्त करने को लेकर निर्णय लेने में देरी क्यों कर रहा है। छात्रों ने कहा कि जब तक इस पर कोई निर्णय नहीं होता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

कोचिंग, लाइब्रेरी बंद कराकर अपील की थी गुरुवार को प्रतियोगी छात्रों ने डेलीगेसियों में माइक मीटिंग की। अपील की गई थी कि शुक्रवार को कोचिंग और लाइब्रेरी बंद कराकर छात्र लोक सेवा आयोग पर एकत्र होंगे। इसी क्रम में सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे से छात्र आयोग के बाहर एकत्र होने लगे। 

समर्थन में एनएसयूआई, समाजवादी छात्रसभा, दिशा छात्र संगठन समेत कई अन्य संगठन भी उतर आए। देखते ही देखते हजारों छात्र आयोग गेट के सामने बैठ गए। हंगामे की आशंका के मद्देनजर आयोग के सभी गेट बंद कर दिए गए और आयोग चौराहे से सिविल लाइंस बस अड्डा जाने वाली रोड पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया। वहीं देर रात पुलिस कमिश्नर और डीएम छात्रों से वार्ता करने पहुंचे।

आयोग अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग

रोजगार के सवाल पर 74 दिनों से जारी आंदोलन में पत्थर गिरजाघर स्थित धरनास्थल पर युवा मंच ने प्रस्ताव पारित कर कहा कि आरओ-एआरओ व सिपाही भर्ती परीक्षा को सरकार रद्द करे। पुनर्परीक्षा कराने और सीबीआई जांच कराकर शिक्षा माफियाओं समेत अन्य दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की। 

छात्रों ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर पेपर लीक प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की। आयोग के सचिव को तत्काल निलंबित करने व अध्यक्ष से इस्तीफा दिलाने की मांग की। इस मौके पर राजेश सचान, अनिल सिंह, तेजेश सिंह, ब्रह्म सेन, ओम प्रकाश आदि शामिल रहे।

देर शाम अध्यक्ष की पत्नी और बेटी आईं आयोग

सुबह साढ़े दस बजे से प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ। आयोग के सभी गेटों पर प्रतियोगी घेरे हुए हैं। ऐसे में आयोग के भीतर से अधिकारी व कर्मचारी न तो बाहर आ पा रहे थे और न ही अंदर जा पा रहे थे। हंगामे की जानकारी होने पर शाम तकरीबन सात बजे आयोग अध्यक्ष की पत्नी व बेटी आयोग दफ्तर पहुंच गईं, जिन्हें पुलिस ने किसी तरह अंदर पहुंचाया।

रात में पुलिस कमिश्नर और डीएम पहुंचे बात करने

रात तकरीबन 1130 बजे पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा और डीएम नवनीत सिंह चहल आयोग पहुंचे। दोनों अफसरों ने पहले छात्रों से वार्ता की फिर आयोग के अंदर जाकर मामले पर चर्चा की। छात्रों ने बताया कि आयोग के उपसचिव ने कहा मामले की जांच चल रही है, कम से कम तीन सप्ताह का वक्त दिया जाए। जिसके बाद कुछ छात्र हटने लगे लेकिन कुछ परीक्षा निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे।

28 को दिल्ली में उठाएंगे आवाज

आइसा ने आरओ/एआरओ के लीक पेपर की परीक्षा रद्द करके एक महीने में पुन परीक्षा कराने की मांग की। मनीष कुमार ने कहा कि इसके खिलाफ 28 को प्रदेश का युवा, यंग इंडिया के चलो दिल्ली अभियान के तहत दिल्ली में परीक्षाओं में पेपर लीक, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएगा।

आंदोलनकारियों ने निकाला कैंडल मार्च

पेपर लीक का आरोप लगाते हुए देर रात आयोग गेट के सामने प्रतियोगी छात्रों ने हाथों में कैंडल लेकर विरोध दर्ज किया। कहा कि आयोग के अध्यक्ष से वार्ता करने के लिए बाहर आने को कई बार कहा गया पर वह नहीं आए।