दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व, जानिए पूजा से जुड़े सभी नियम और खास बातें

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व, जानिए पूजा से जुड़े सभी नियम और खास बातें

 मां लक्ष्मी ऐश्वर्य व वैभव की देवी हैं। इसलिए दीपावली के दिन इनकी पूजा से भौतिक सुखों की प्राप्ति तो होती ही हैं साथ ही घर में भरपूर खुशियां आती हैं। वहीं दीवाली पूजन में अगर कुछ बातों का भी खास ध्यान रखा जाए तो विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। 

हमारी धार्मिक मान्यताओं में आम के पेड़ को दैवीय वृक्ष माना जाता है और आम के पेड़ की लकड़ी और पत्तों का प्रयोग सभी प्रकार के धार्मिक कार्यों की शुरुआत करने से पहले किया जाता है। 

दीपावली पर भी आपको घर के मुख्य द्वार और पूजा घर के मुख्य द्वार पर गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना तोरण लगाना चाहिए। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि तो शुभ माना ही जाता है, बल्कि वास्तु के अनुसार भी यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

हमारे धर्म से जुड़े कोई भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले स्वास्तिक का चिह्न अवश्य बनाया जाता है। इसका महत्व बहुत खास माना जाता है। दीपावली के दिन पूजा घर की दीवारों पर सिंदूर से स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह देवी लक्ष्मी को आकर्षित करता है और घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है।

उत्तर दिशा में पूजा

माना जाता है कि उत्तर दिशा धन की दिशा होती है और मां लक्ष्मी जिनकी पूजा दीवाली के दिन होती है, धन की देवी मानी गई हैं। इसीलिए दिवाली की पूजा उत्तर दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए। इसके मुताबिक पूजा करने वाले का मुख घर की उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

हर बार बदले मूर्तियां

हर साल दीवाली पूजन में इस्तेमाल की जाने वाली लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां नई होनी चाहिए। पुरानी मूर्तियों को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए। लेकिन अगर आपके पास चांदी की मूर्तियां हैं तो दोबारा उन्हें गंगाजल से साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

लाल रंग का इस्तेमाल

कहते हैं देवी को लाल रंग अति प्रिय होता है। इसीलिए दिवाली की पूजा में लाल रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल विशेष तौर से करना चाहिए, जैसे इस दिन पूजा के दौरान देवी को लाल रंग के कपड़े, लाल रंग के फूल, लाल श्रृंगार अर्पित करें। इससे मां को प्रसन्न किया जा सकता है।

रोली से बनाएं स्वास्तिक

पूजा घर में दोनों तरफ रोली से स्वास्तिक का निर्माण करना भी शुभ माना जाता है। कहते हैं स्वास्तिक भगवान गणेश का ही स्वरूप होता है जो अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है। इससे घर में मौजूद तमाम तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

पूजा में बजाए शंख

लक्ष्मी पूजन में शंख का बहुत ही महत्व होता है। शंख की आवाज़ को अत्यंत शुभ माना गया है। इसीलिए दिवाली की पूजा में शंख जरूर बजाना चाहिए। इससे देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मन व मस्तिष्क दोनों में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

श्री गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

श्री लक्ष्मी गणेश कभी भी एक साथ जुड़े हुए नहीं खरीदने चाहिए। पूजा घर में रखने के लिए लक्ष्मी और गणेश की ऐसी मूर्ति लेने चाहिए, जिनमें दोनों विग्रह अलग-अलग हों।

श्री गणेश की मूर्ति में उनकी सूंड बाएं हाथ की तरफ मुड़ी होनी चाहिए। दाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड शुभ नहीं होती है। सूंड में दो घुमाव भी ना हों ,मूर्ति खरीदते समय हमेशा श्री गणेश जी के हाथ में मोदक वाली मूर्ति खरीदें। ऐसी मूर्ति सुख-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

श्री गणेश जी की मूर्ति में उनके वाहन मूषक की उपस्थिति अनिवार्य है।

माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति न खरीदें जिसमें मां लक्ष्मी उल्लू पर विराजमान हों। ऐसी मूर्ति को काली लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी माता की ऐसी मूर्ति ऐसी लेनी चाहिए जिसमें वो कमल पर विराजमान हों। उनका हाथ वर मुद्रा में हो और धन की वर्षा करता हो। कभी भी लक्ष्मी मां की ऐसी मूर्ति ना लेकर आएं जिसमें वो खड़ी हों। ऐसी मूर्ति लक्ष्मी मां के जाने की मुद्रा में तैयार माना जाता है।

इसलिए करें मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की पूजा

भगवान गणेश वैसे भी लाल वर्ण श्वेत वर्ण के रूप में है दूसरी तरफ मिट्टी का निर्माण ब्रह्मा जी के द्वारा किया गया है। मिट्टी से बनी मूर्ति के पूजन का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में भी मिलता है। यदि मिट्टी गंगा जी, तालाब, कुएं गौशाला से लाकर भगवान गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई जाए और फिर उनकी पूजा अर्चना की जाए तो अत्यंत लाभकारी होता है। प्लास्टर आफ पेरिस से बनी मूर्तियों का जिक्र हमारे शास्त्रों में नही मिलता है लेकिन सोने और चांदी की मूर्ति का पूजन किया जा सकता है।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 

ऐसा माना जाता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन होता है, इसलिए इस दिन शाम के समय घर के द्वार खुले रखे जाते हैं। दीपावली के शुभ दिन पर लक्ष्मी-गणेश जी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। दीपावली (कालरात्रि ) वह निशा है जिसमें तंत्र साधकों के लिए सर्वाधिक अवसर होते हैं।

शुभ दीपावली तिथि 2023

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 12 नवंबर रविवार को दोपहर 02:44 बजे से शुरू हो जाएगी और 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 02:56 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर कार्तिक अमावस्या तो 13 नवंबर को होगी, लेकिन अमावस्या तिथि में प्रदोष काल 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, 13 नवंबर को प्रदोष काल के समय शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। इस वजह से इस साल दीपावली का त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा।

प्रदोष काल का मुहूर्त

प्रदोष काल 12 नवंबर 2023 को सायं काल 17:11 से 19:39 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल (स्थिर लग्न) 17:22 बजे से 19:19 बजे तक रहेगा।

लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल का मुहूर्त का समय सायं काल 17:11 बजे से सायं काल 19:39 बजे तक रहेगा। 

निशीथ काल का शुभ पूजा मुहूर्त

श्री महालक्ष्मी पूजा के लिए यह निशीथ काल मुहूर्त भी अच्छा माना जाता है जोकि रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक रहेगा। यह अवधि लगभग 52 मिनट की होगी।