अपार आइडी देगी छात्रों को विशिष्ट पहचान, आधार कार्ड की तरह हर स्कूली बच्चे का बनेगा कार्ड

अपार आइडी देगी छात्रों को विशिष्ट पहचान, आधार कार्ड की तरह हर स्कूली बच्चे का बनेगा कार्ड

स्कूल से लेकर कालेज तक के छात्रों के पास अब आधार कार्ड के अलावा एक और विशिष्ट पहचान आइडी होगी। इसका नाम अपार (आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) रखा गया है। इसके लिए उनके माता-पिता की सहमति लेने का कार्य स्कूल स्तर पर शुरू हो गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के हर छात्र के लिए अपार आइडी बनाने की योजना वन नेशन वन स्टूडेंट आइडी की तर्ज पर बनाई है । इसे छात्रों के आधार नंबर से भी लिंक किया जाएगा।

आधार कार्ड की तरह हर स्कूली बच्चे का 12 अंकों का अलग अपार आइडी कार्ड बनाया जाएगा। अपार आइडी कार्ड में बच्चे की सभी जानकारी होगी। इसमें नाम, पता, जन्मतिथि, फोटो के साथ ही बच्चे के खेलकूद की गतिविधियां, एजुकेशन लोन, स्कालरशिप अवार्ड

आदि की भी पूरी जानकारी होगी। कार्ड को बनाने के लिए बच्चों के अभिभावकों से पहले सहमति लेने का कार्य शिक्षा मंत्रालय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग भारत सरकार के सचिव संजय कुमार द्वारा सभी प्रदेशों के मुख्य सचिव को जारी पत्र के बाद स्कूल स्तर से शुरू कर दिया गया है। बच्चों को एक तय फार्मेट का फार्म दिया जा रहा है। 

इस फार्म को अभिभावकों से भरवाकर जमा कराने का कार्य स्कूलों में पैरेंट टीचर मीटिंग (पीटीएम) आयोजित कराकर किया जा रहा है। इसके बाद कार्ड बनाया जाएगा। कार्ड की विशेषता यह भी होगी कि किसी भी छात्र का एक बार कार्ड बनने के बाद अगर स्कूल बदला भी जाता है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यही कार्ड हमेशा काम आएगा। इसका नंबर आधार की तरह ही यूनिक होगा, जिसका इस्तेमाल भविष्य में बच्चे को हर जगह करना अनिवार्य हो जाएगा।

राज्य सरकार के विभाग अभिभावकों के साथ करेंगे बैठक : उत्तर प्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक संस्थानों को अपार आइडी बनाने के महत्व पर चर्चा करने के लिए 16 से 18 अक्टूबर के बीच अभिभावकों और शिक्षकों की एक बैठक आयोजित करने को कहा है।

डाटा गोपनीय रहेगा

सरकार की ओर से कहा गया है कि इसमें छात्रों के माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी। सरकार ने आश्वासन दिया कि डाटा गोपनीय रहेगा और केवल सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा। सहमति देने वाले अभिभावक इसे किसी भी समय वापस ले सकते हैं। सहमति के बाद इसे सेंट्रल यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट एंड इंफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन प्लस पोर्टल पर अपलोड करना स्कूल की जिम्मेदारी होगी।