हेडमास्टर ने हड़पी बच्चों के मिड-डे मील की मोटी रकम, खुलासा होने पर गिरी गाज, पढे पूरी सूचना

हेडमास्टर ने हड़पी बच्चों के मिड-डे मील की मोटी रकम, खुलासा होने पर गिरी गाज, पढे पूरी सूचना

 उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक हेड मास्टर ने बच्चों के मिड डे मील पर ही डाका डाल दिया. शिकायत बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को हुई तो जांच बैठाई गई. जांच में विद्यालय के एक प्रधानाचार्य गबन के मामले में दोषी पाए गए. जिन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

हेडमास्टर ने हड़पी बच्चों के मिड-डे मील की मोटी रकम, खुलासा होने पर गिरी गाज, पढे पूरी सूचना

पूरा मामला जिले के कंपोजिट विद्यालय मुबारकपुर हरतरा सादात ब्लाक का है. सादात नगर के वार्ड दस का निवासी मुहम्मद अशफाक लंबे समय से क्षेत्र के मुबारकपुर हरतरा स्थित कंपोजिट विद्यालय पर हेड मास्टर के रूप में कार्यरत है. उसने ग्राम पंचायत चुनाव के करीब ढाई साल बाद भी एमडीएम के सिंगल खाते को ग्राम प्रधान के साथ संयुक्त नही कराया. जबकि संयुक्त खाता कराने का निर्देश बीआरसी द्वारा किया गया था।

प्रधान ने की शिकायत तब खुला राज

इस मामले की शिकायत गांव के प्रधान ने विभाग के उच्चाधिकारियों से की. शिकायत मिलने पर हेड मास्टर के खिलाफ जांच बैठाई गई. जांच में पाया गया कि हेडमास्टर ने 16 जनवरी 2020 को किसी वेंडर की बजाय खुद अपने नाम चेक से 24,440 रुपए की निकासी कर ली।

इतना ही नहीं उसने सितंबर 2021 से जुलाई 2023 तक एमडीएम  पंजिका में प्रत्येक पृष्ठ पर वाइटनर का प्रयोग किया. ओवर राइटिंग द्वारा उसने लाभार्थी कालम में गेहूं और चावल की मात्रा में भी व्यापक गड़बड़ी की. आरोपी हेड मास्टर के द्वारा निरीक्षण में उच्चाधिकारियों को बिल बाउचर नहीं दिखाया जाता था।

जिले में चल रहा है गबन का खेल

बेसिक शिक्षा विभाग में शासन के द्वारा मिड डे मील योजना चलाई जाती है. योजना के तहत विद्यालय में पढ़ने आने वाले छात्रों को शिक्षा के साथ ही उन्हें भोजन दिया जाता है. इसके लिए विद्यालय के मद में चावल और गेहूं के साथ ही कन्वर्जन मनी भी दिया जाता है. लेकिन जनपद में कई ऐसे टीचर भी हैं जो बच्चों के भोजन पर भी डाका डालने से नहीं चूकते हैं।

बहुत सारे टीचर जिले में हैं जो मिड डे मील योजना में भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हैं. सूत्रों की माने तो ऐसे भ्रष्ट टीचरों पर विभागीय अधिकारियों की छत्र-छाया है. वहीं, कुछ जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी से आज भी अपने काले कारनामे को छिपाए हुए हैं. इस तरह के गबन की कोई शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में आती है तो उस पर कार्रवाई की जाती है।