बुरा हाल 👉 परिषदीय स्कूलों में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक गुल रहती बत्ती, उपस्थिति पर पड़ा असर

बुरा हाल 👉 परिषदीय स्कूलों में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक गुल रहती बत्ती, उपस्थिति पर पड़ा असर

श्रावस्ती, भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। ऐसे में परिषदीय स्कूलों में बच्चे गर्मी से परेशान हो रहे हैं। स्कूल का समय सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक संचालित हो रहा है। स्कूलों में बिजली व्यवस्था बदहाल है। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति पर असर पड़ रहा है।

परिषदीय स्कूलों में गर्मी से बच्चे परेशान हो रहे हैं। हिन्दुस्तान की ओर से गुरुवार को पड़ताल की गई तो पता चला कि अधिकांश स्कूलों में बिजली की व्यवस्था खराब है। कनेक्शन होने के बाद भी कहीं पर समय से बिजली नहीं आती है तो कहीं पर केवल मीटर टंगा है। बिजली आती ही नहीं है।

रतनापुर संवाद के अनुसार विकास खण्ड गिलौला के प्राथमिक विद्यालय मनिहारतारा में पंखा लगा हुआ है और चालू भी है। लेकिन बिजली की आँख मिचौली होती रहती है। जिसके कारण बच्चे गर्मी से परेशान रहते हैं।

लक्ष्मनपुर संवाद के अनुसार प्राथमिक विद्यालय हरैया द्वितीय में मीटर लगा है। लेकिन बिजली नहीं है। पिछले एक साल से लगातार शिकायत करने पर भी विद्यालय में लाइट नहीं पहुंची जिससे बच्चे गर्मी परेशान होते है। कटरा संवाद के अनुसार काम्पोजिट विद्यालय मुस्काबाद में विद्युत कनेक्शन हैं। लेकिन आए दिन हो रही चोरी के कारण बल्ब व पंखे गायब हो जा रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय बगहा में बिना पंखा बिजली के छात्र पढ़ते हुए पाए गए। 

इसी तरह से प्राथमिक विद्यालय कन्या कटरा में विद्युत व्यवस्था ठीक रही। लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय में विद्युत व्यवस्था बंद कर दी गई है। कम्पोजिट विद्यालय बिदुहनी में विद्युत व्यवस्था ठीक रही। विद्यालय में स्मार्ट क्लास चलाया जा रहा है और सभी बच्चे पंखे के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हुए देखे गए। जबकि कम्पोजिट विद्यालय जोरडीह में भी बिजली ठीक है। प्राथमिक विद्यालय बंजरही में भी पंखे के नीचे बच्चे पढ़ते पाए गए।

जिले के 52 स्कूलों में बिजली कनेक्शन आज तक नहीं

परिषदीय स्कूलों की संख्या 984 है। जिसमें 52 स्कूलों में बिजली कनेक्शन आज तक नहीं हुआ है। जबकि बताया जाता है कि करीब 40 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल मीटर ही बंधा है। बिजली आती ही नहीं है। जिससे स्कूल आने वाले बच्चों को गर्मी से परेशान होना पड़ता है। इससे छात्राओं की उपस्थिति पर भी असर पड़ने लगा है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।