शाहजहांपुर के BSA कुमार गौरव ने टॉपटेन में हासिल किया पांचवां स्थान, पढ़ें पूरी खबर
बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. कुमार गौरव ने पीसीएस परीक्षा की टॉप-10 रैंकिंग में पांचवां स्थान हासिल किया है। पुरुषों की रैकिंग में वह पहले स्थान पर हैं। इससे पहले वह नायब तहसीलदार और असिस्टेंट कमांडर सीआरपीएफ की परीक्षा भी पास कर चुके हैं। उनकी उपलब्धि पर परिवार के साथ ही जिले के शिक्षकों ने खुशी जताई है।
अंबेडकरनगर जिले के रामनगर ब्लॉक के गांव उमरी भवानी निवासी सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी चंद्र प्रकाश द्विवेदी व गृहणी शकुंतला देवी के बेटे कुमार गौरव की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। इसके बाद इंदईपुर इंटर कॉलेज से इंटरमीडियट पास करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। फिर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से परास्नातक परीक्षा पास की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से डॉ. रत्ना के मार्गदर्शन में हिंदी साहित्य में पीएचडी करने वाले कुमार गौरव का चयन 2016 में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडर के रूप में हो गया था।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की राज्य प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) परीक्षा में पांचवां स्थान प्राप्त करने वाले शाहजहांपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कुमार गौरव ने सफलता की नई इबारत लिखी है। इस सफलता के पीछे उनकी लगन, धैर्य और मेहनत है, जिसे कभी टूटने नहीं दिया।
कुमार गौरव के तीन साल मुश्किल भरे गुजरे थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद उनका चयन नायब तहसीलदार पद पर हो गया, लेकिन ज्वाइन करने से पहले ही पीईएस का रिजल्ट आने पर बीएसए के रूप में शाहजहांपुर में तैनाती मिल गई। इसके बाद उन्होंने पीसीएस की परीक्षा दी।
पीसीएस की परीक्षा में कुमार गौरव ने पांचवां स्थान प्राप्त किया। दो नौकरियां ठुकराने के बाद बीएसए बने कुमार गौरव ने बताया कि वह पीसीएस की नौकरी को ज्वाइन करेंगे। उनका कहना है कि धैर्य, लगन व ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं होता है। ईमानदारी से की गई मेहनत और लगन ही सफलता दिलाती है।
पीएचडी करने के दौरान नौकरी को ठुकराने वाले कुमार का नायब तहसीलदार की परीक्षा में नाम आ गया। उनके ज्वाइन करने से पहले ही पीईएस का रिजल्ट आने पर बीएसए के रूप में शाहजहांपुर में तैनाती मिल गई। उन्होंने अपनी नियुक्ति के दौरान नवाचार के जरिये विद्यालयों का शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने की गति दी है। शुक्रवार शाम को बीएसए के पीसीएस में चयन होने की खबर के बाद परिवार के साथ जिले के शिक्षकों ने भी बधाई दी। उनकी पत्नी योगिता ओझा ने बीटेक किया है और वह एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं।
2016 की जॉब ठुकराने के बाद लगा था बेरोजगार रह जाएंगे
बीएसए कुमार गौरव की जिंदगी में कई मौके ऐसे आए, जब वह काफी मायूस हो गए। असिस्टेंट कमांडर की नौकरी पीएचडी के कारण छोड़ दी। उन्होंने बताया कि इसके बाद तीन साल तक मौका नहीं मिलने पर परेशान होते रहे। ऐसा लगा कि अब बेरोजगार रह जाएंगे। इसके बाद नौकरी से उनकी झोली भर गई। नायब तहसीलदार के बाद बीएसए बने और पीसीएस में पांचवां स्थान पाया। कुमार गौरव के अनुसार, वह पीसीएस की नौकरी को ज्वाइन करेंगे।
धैर्य और साहस व ईमानदारी का विकल्प नहीं होता है। राष्ट्रीय आंदोलन के नेता हो या बड़े आईकॉन हो, इन सभी का सर्वकालिक जवाब है कि मेहनत और ईमानदारी ही सफलता दिलाती है।
कुमार गौरव, बीएसए