पुरानी भर्तियों का अतापता नहीं संभावित चयनों की पूछी संख्या

 

पुरानी भर्तियों का अतापता नहीं संभावित चयनों की पूछी संख्या


प्रयागराज, पुरानी भर्तियों का अतापता नहीं और शासन ने भर्ती आयोगों / चयन बोड़ों से संभावित भर्तियों/चयन की सूचना मांग ली है। शासन ने जिन भर्ती संस्थाओं से सूचना मांगी है, उनमें से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को छोड़कर बाकी कोई भी भर्ती संस्था वार्षिक कलेंडर तक जारी नहीं करती, अब इन्हें एक साल में प्रत्येक तिमाही की संभावित चयनों की संख्या बतानी है।


वहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भी इस वर्ष जी कैलेंडर जारी किया हैं, उनमें बहुत ही सीमित संख्या में भर्तियां शामिल की गई हैं। कैलेंडर में पांच प्रकार की भर्तियों की कुल आठ परीक्षाएं शामिल की गई हैं। आरओ/एआरओ, एपीएस, एलटी ग्रेड शिक्षक जैसी कई महत्वपूर्ण भर्तियाँ कैलेंडर में शामिल नहीं है, जबकि इन भर्तियों के लिए आयोग को रिक्त पदों का अधियाचन मिल चुका है।

शासन के विशेष सचिव मदन सिंह गल की ओर से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, बेसिक शिक्षा परिषद, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड और उत्तर प्रदेश विद्युत सेवा आयोग को पत्र जारी कर संभावित भर्तियों का ब्योरा मांगा गया है। भर्ती संस्थाओं को अप्रैल 2023 से जून 2023 जुलाई 2023 से सितंबर 2023, अक्तूबर 2023 से दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक प्रत्येक तिमाही की अलग अलग संभावित चयनों की संख्या का ब्योरा देना है। खास यह कि एक तरफ शिक्षक भर्ती करने वाली सभी भर्ती संस्थाओं को एक करके शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाने की तैयारी की जा रही है और दूसरी ओर संभावित चयनों की संख्या का ब्योरा भी मांगा जा रहा है।

उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से विज्ञापन संख्या 51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी-पीजीटी भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया अगस्त 2022 में पूरी हो चुकी है। दोनों आयोगों में कोरम के अभाव में पुरानी भर्ती शुरू नहीं हो पा रही। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ये दोनों भर्ती संस्थाएं किस आधार पर शासन को संभावित चयनों की संख्या का ब्योरा उपलब्ध करा सकेगी.


प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि भर्ती के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। कभी पदों की संख्या जुटाई जाती है तो कभी संभावित भर्तियों के बारे में पूछा जाता है। अगर शासन भर्तियों को लेकर इतना ही गंभीर है तो सबसे पहले वर्षों और महीनों से ठप पड़ी भर्तियां समय से पूरी कराई जाएं।