UPTET : टीईटी प्रमाणपत्र लेने नहीं आए 41 हजार अभ्यर्थी, डायट में धूल फांक रहे प्रमाण-पत्र
प्रयागराज:- साल-दर-साल बढ़ रही बेरोजगारी के बीच उत्तर प्रदेश में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के प्रमाणपत्र रद्दी का टुकड़ा बनते जा रहे हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सवा चार साल से कोई शिक्षक भर्ती नहीं होने के कारण टीईटी में सफल 41,199 युवा प्रमाणपत्र लेने नहीं आए। ये प्रमाणपत्र जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में सालों से धूल फांक रहे हैं।
टीईटी 2013-14 सत्र से लेकर 2019 तक के प्राथमिक स्तर के 25180 और उच्च प्राथमिक स्तर के 16019 प्रमाणपत्र को कोई पूछने वाला नहीं है। सर्वाधिक 16,775 प्रमाणपत्र 2019 की टीईटी के हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन पर यूपी में जून 2021 में टीईटी के सभी प्रमाणपत्र आजीवन मान्य कर दिए गए थे।
ढाई साल से शिक्षकों के 51,112 पद रिक्त परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पिछले ढाई सालों से सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है।
कोर्ट केस के कारण फंसे हैं 2021 के सर्टिफिकेट
23 जनवरी 2022 को आयोजित यूपी-टीईटी 2021 में 660592 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र कोर्ट केस के कारण फंसे हुए हैं। डीएलएड के कुछ अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी।
उनका कहना है कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए बीएड डिग्रीधारी अर्ह नहीं हैं, इसीलिए उन्हें प्राथमिक स्तर की टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाना चाहिए। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण प्रमाणपत्र नहीं बंट पा रहे।
डायट में धूल फांक रहे प्रमाण-पत्र
वर्ष- प्राथमिक/उच्च प्राथमिक
2019- 13889/2886
2018- 5989/2201
2017- 376/1739
2016- 324/2445
2015- 4196/4196
2013- 14406/2552
योग- 25,180/16,019 प्रमाणपत्र