शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन से बढ़ेगी पारदर्शिता, गुणवत्ता में भी होगा सुधार

शिक्षकों के समयबद्ध चयन के लिए सरकार गंभीर है. मुख्यमंत्री ने जल्द ही उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन (Education Service Selection Commission) करने को कहा है. इसके गठन के बाद क्या असर पड़ेगा।

लखनऊ:- शिक्षा में पारदर्शिता लाने और शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए राज्य सरकार ने शिक्षा के सभी आयामों यानी प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए एक आयोग बनाने का फैसला किया है. ‘यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग’ (Education Service Selection Commission) के नाम से बनाए जाने वाले इस आयोग में कुल बारह सदस्य होंगे, जिनमें अफसरों के साथ-साथ शिक्षाविदों को भी शामिल किया जाएगा. प्रदेश में भर्तियों का अतीत बहुत विवादित और दागी रहा है. सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा सरकार ने पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की बात कही थी. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ भी इस आयोग के गठन से खासे आशान्वित हैं।

बीते दो दशक से भी ज्यादा समय से प्रदेश में शिक्षक भर्ती को लेकर खूब राजनीति और आंदोलन हुए. 1999 में सर्व शिक्षा अभियान को दिशा देने के लिए तत्कालीन प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्रों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ की, जिस पर क्रियान्वयन 2001 में शुरू हुआ. इसके तहत प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख अप्रशिक्षित युवा प्राथमिक विद्यालयों में भर लिए गए. 2007 में नगर क्षेत्र में भी शिक्षा मित्र योजना लागू कर दी गई. 2011 में इन शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से द्विवर्षीय प्रशिक्षण लेने का आदेश दिया गया. 2012 में प्रशिक्षण ले चुके शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने का निर्णय किया गया. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस समायोजन पर रोक लगा दी, जिसके बाद धरना-प्रदर्शन और आंदोलन आरंभ हो गए, वहीं 2017 में शीर्ष अदालत ने एक लाख सैंतीस हजार शिक्षा मित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया, जिसके बाद सरकार ने इन शिक्षा मित्रों का मानदेय पैंतीस सौ रुपए से बढ़ाकर दस हजार रुपए कर दिया. यह खबर आप बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट इन पर पढ़ रहे हैं. अब आप अंदाजा लगाइए कि दो दशक में जिस एक पीढ़ी ने सरकारी प्राथमिक विद्यालयों से शिक्षा ग्रहण की होगी, उनकी पढ़ाई का स्तर क्या होगा? प्राथमिक शिक्षा की यह दुर्दशा आज भी जारी है. यही कारण है कि प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधर नहीं पा रहा है. यह एक उदाहरण भी है कि कई बार राजनीतिक निर्णय दलीय फायदे के लिए होते हैं और इससे समाज का उतना भला नहीं हो पाता. प्राथमिक शिक्षा में अब भी तमाम पद रिक्त हैं।

यदि बात माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षा की करें, तो इन तीनों ही माध्यमों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं और चयन नहीं हो पा रहा है. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्थाई शिक्षकों के स्थान पर हजारों अस्थाई शिक्षक अध्यापन का काम कर रहे हैं. स्वाभाविक है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. तमाम ऐसे वित्त पोषित विद्यालय हैं, जहां नियमित शिक्षकों का रिटायरमेंट तो होता गया, किंतु नियुक्ति नहीं हो पाई. अब इस आयोग के गठन हो जाने के बाद से यह सारी व्यवस्था एकीकृत और पारदर्शी हो जाएगी. चूंकि इस आयोग में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल करने की योजना है, इसलिए यह उम्मीद जरूर की जानी चाहिए कि आयोग के माध्यम से चयनित होने वाले शिक्षक योग्य होंगे और वह गुणवत्तापरक शिक्षा दे पाएंगे. इस माध्यम से भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की उम्मीद की जा सकती है।

इस संबंध में राजधानी के विद्यांत डिग्री कॉलेज में शिक्षक और विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि पिछले पांच साल में भाजपा सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए कई कदम उठाए हैं. साथ ही कई सुधार भी किए हैं. यदि हम विचार करेंगे प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक सारे दायरे में परिवर्तन दिखाई दे रहा है. यदि प्राथमिक शिक्षा की बात करें तो ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से विद्यालयों में सुधार के प्रयास हो रहे हैं. गरीब बच्चों को सहायता भी दी जा रही है. इसी प्रकार नकलविहीन परीक्षा कराने में काफी सफलता मिली है. अब एक दूसरा विषय है कि कैसे पारदर्शी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति और पढ़ाई हो, तो इसके लिए सरकार ने शिक्षकों के चयन की एकीकृत व्यवस्था करने का फैसला किया है।

नए व्यवस्था के माध्यम से पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों पर ध्यान दिया जा सकेगा. इससे सुयोग्य शिक्षक ही इस व्यवस्था में आ सकेंगे. प्राथमिक शिक्षा में तो बहुत ही ध्यान देने की जरूरत है. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तमाम बदलाव हो रहे हैं. नई शिक्षा नीति लागू हो रही है. यदि बच्चों की बुनियाद मजबूत हो जाएगी तो आगे की शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव दिखाई देने लगेगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार के इस कदम के सकारात्मक और दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।