कार-दोपहिया का लंबी अवधि वाला बीमा होगा, जानिए कितना होगा प्रीमियम

कार-दोपहिया का लंबी अवधि वाला बीमा होगा, जानिए कितना होगा प्रीमियम

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने वाहनों के लिए लंबी अवधि वाली बीमा पॉलिसी देने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत दोपहिया वाहनों के लिए पांच वर्ष और कारों के लिए तीन वर्ष का वाहन बीमा जारी किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश में बीमा के प्रसार को बढ़ाना और ग्राहकों को व्यापक विकल्प प्रदान करना है।


इरडा ने इस प्रस्ताव का मसौदा जारी कर दिया है। इसमें ग्राहकों को हर साल वाहन बीमा के नवीनीकरण से राहत देने की बात कही गई है। इसके लिए ‘दीर्घकालिक मोटर उत्पाद पॉलिसी लाई जाएगी, जिसके तहत थर्ड पार्टी वाहन बीमा और स्वयं को हुई क्षति बीमा’ लंबी अवधि के लिए जारी किए जाएंगे। इस संबंध में इरडा ने सभी पक्षों से राय मांगी है। इस तरह का मसौदा 2018 में भी तैयार हुआ था। इरडा ने बीमा कंपनियों से एक सितंबर 2018 से या उसके बाद खरीदी गई नई कारों और दोपहिया वाहनों के लिए लंबी अवधि वाले बीमा जारी करने को कहा था। लेकिन 2019 के शुरुआत में कोरोना महामारी के चलते इस पर विराम लग गया। सितंबर 2019 में इसे वापस ले लिया गया था। महामारी के दौरान देशभर में कोरोना लॉकडाउन लगा हुआ था। इरडा ने उस वक्त कहा था कि इस प्रस्ताव को लागू करने में कई तरह के पेंच आ गए थे। इसके तहत नियम सिर्फ नए वाहनों पर लागू होना था, पुराने पर नहीं।


क्या है योजना में
इरडा के अऩुसार, सभी कंपनिया लंबी अवधि वाले वाहन बीमा जारी कर सकेंगी। निजी कारों के लिए तीन साल और दुपहिया वाहनों के लिए वाहन बीमा पांच साल तक के लिए होगा। हालांकि ग्राहकों के पास यह विकल्प होगा कि वे कितने वर्ष के लिए बीमा लेना चाहते हैं। उसी के अनुसार प्रीमियम तय होगा।


हालांकि प्रस्ताव के अनुसार, कंपनियां पूरी अवधि के लिए भी प्रीमियम ले सकेंगी लेकिन प्रत्येक वर्ष के लिए प्रीमियम गणना अलग होगी और क्लेम भी उसी के अनुसार होगा। शेष राशि को अग्रिम प्रीमियम भुगतान माना जाएगा। यदि बीमाधारक तय समयसीमा के भीतर इसे रद्द करता है तो कंपनियों को बाकी राशि लौटानी होगी।

बीमा रद्द भी कर सकेंगे

सभी लंबी अवधि के वाहन बीमा के रद्दीकरण या वापसी से संबंधित मानक शर्तें होंगी। उदाहरण के लिए, प्रत्येक दीर्घकालिक मोटर ओन-डैमेज पॉलिसी में बीमा की शुरुआत की तारीख से 30-दिन की फ्री-लुक अवधि होगी ताकि बीमा धारक नियमों और शर्तों की समीक्षा कर सके। फ्री-लुक रद्द होने की स्थिति में बीमाधारक नियमानुसार प्रीमियम की वापसी का हकदार होगा।