पीडीडीयू नगर/नौगढ़ शासन की ओर से प्रदेश के सभी स्कूलों में बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा देने के लिए संसाधनों के साथ काफी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। मिशन कायाकल्प के द्वारा विद्यालयों को आधुनिक बनाया जा रहा है, पर इसके बीच यह खबर सुनकर आप चौंक जाएंगे कि चंदौली जिले में एक ऐसा भी विद्यालय है जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। इस विद्यालय में बच्चे ही छात्र है और बच्चे ही गुरुजी बनकर पढ़ाते हैं। नौगढ़ के माध्यमिक विद्यालय गहीला की चाभी डेढ़ सालों से छात्रों के पास ही है वो ही विद्यालय का ताला खोलते और बंद करते हैं। शिक्षा विभाग के अनुसार शिक्षक की नियुक्ति के लिए कई बार पत्र भी लिखा जा चुका है पर अभी तक यहां शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
नौगढ़ के आयुर्वेदिक चिकित्सालय से सटे गहिला स्थित प्राथमिक विद्यालय को करीब आठ साल पहले माध्यमिक विद्यालय बनाया गया माध्यमिक विद्यालय खुलने से ग्रामीणों में खुशी का ठिकाना न था। उस समय एक प्रधानाध्यापक और तीन अध्यापकों की नियुक्ति हुई। धीरे-धीरे सभी अध्यापकों का तबादला हो गया। एकमात्र बचे प्रधानाध्यापक अजीत चौरसिया का भी फरवरी 2020 तबादला हो गया। इसके बाद विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं रहे। वर्तमान समय में विद्यालय में 30 छात्र और 30 छात्राएं अध्यनरत है। कक्षा का मॉनिटर पवन नाम के बच्चे को बनाया गया है। जो सभी बच्चों को पढ़ाता है। वहीं विद्यालय की चाभी भी उसके पास रहती है। पवन ही सुबह विद्यालय का ताला खोलता है। अमर उजाला की टीम जब शनिवार को विद्यालय पहुंची तो पवन ही ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखकर बच्चों को पढ़ा रहा था। वहीं शिक्षा विभाग का कहना है कि विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।
फिलहाल विद्यालय में मिड-डे-मील और संचालन के लिए बगल के प्राथमिक विद्यालय के एक शिक्षक को रखा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के जिस शिक्षक को यहां देखभाल के लिए रखा गया है वो दिनभर मिड-डे-मील का सामान जुटाने में ही व्यस्त रहते हैं। अमर उजाला की टीम भी जब विद्यालय पहुंची तो वे गांव में सब्जी लाने गए हुए थे। रसोइया इंद्रावती और सुमन को काफी दिनों से उनका मानदेय नहीं मिल रहा है।
नहीं है महिला शौचालय जंगल में जाती हैं छात्राएं
माध्यमिक विद्यालय गहिला में एक भी महिला शौचालय नहीं है। जिसकी वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत छात्राओं को होती है। उन्हें मजबूरी में जंगल में जाना पड़ता है। विद्यालय में 30 छात्राएं है। लेकिन इनके प्रसाधन के लिए कभी भी ध्यान नहीं दिया गया जबसे विद्यालय बना है इसमें छात्राओं के लिए शौचालय नहीं बनाया गया है।
माध्यमिक विद्यालय, महिला में इस समय किसी अध्यापक की तैनाती नहीं है लेकिन संचालन के लिए प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक को रखा गया है। विद्यालय की स्थिति और अध्यापकों की नियुक्ति के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है
अवधेश नारायण सिंह (एबीएसए) नौगढ़